संपादकीय
>> बुधवार, 11 जनवरी 2012
नई आशाओं और नई चुनौतियों का वर्ष – नव वर्ष 2012
‘कथा पंजाब’ का यह अंक भी विलम्ब से आपके समक्ष आ रहा है। मित्रो, वर्ष 2011 अपनी खूबियों और खामियों के साथ विदा हो गया और नव वर्ष 2012 नई आशाएँ, नई चुनौतियाँ लेकर हमारे समक्ष है। बीते वर्ष जो कमियाँ-खामियाँ रह गईं, जो कार्य अधूरे रह गए, उन्हें इस नये वर्ष में पूरा करने का संकल्प लेना है, नये सृजन की ओर उन्मुख होना है, ऐसा सृजन जो समाज, देश और विश्व में से घृणा, विद्वेष और अन्याय के काले अँधेरों को खत्म करके प्रेम, विश्वास, सौहार्द और नव-निमार्ण का प्रकाश फैलाये।
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बीते वर्ष 2011 पंजाबी के बहुत ही सशक्त चार लेखक - रामसरूप अणखी, जसवंत सिंह विरदी, गुरमेल मडाहड़ और डॉ स्वर्ण चन्दन – हमारे बीच से विदा हो गए। नाटककार गुरशरण भाजी भी हमसे अलविदा ले गए। इन सभी लेखकों के प्रति ‘कथा पंजाब’ अपनी विनम्र श्रद्धांजलि प्रकट करता है।
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पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक बलदेव सिंह को उनके उपन्यास ‘ढाहवां दिल्ली दे किंगरे’ उपन्यास पर भारतीय साहित्य अकादमी, दिल्ली की ओर से वर्ष 2010 के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, यह हम सबके लिए हर्ष और गर्व की बात है। बलदेव सिंह जी का उपन्यास ‘अन्नदाता’ एक ऊँचे स्तर का उपन्यास है। हिन्दी और पंजाबी में इसे लाखों पाठकों ने सराहा है। आशा करता हूँ, ‘ढाहवां दिल्ली दे किंगरे’ का हिन्दी अनुवाद भी हिन्दी के विशाल पाठकों को जल्द उपलब्ध होगा और यह उपन्यास भी उनके ‘अन्नदाता’ उपन्यास की भाँति पाठकों को दिलों में अपनी जगह बनाएगा। ‘कथा पंजाब’ की ओर से बलदेव सिंह जी को बहुत-बहुत बधाई।
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इस अंक में हम विरदी जी को याद करते हुए “पंजाबी कहानी : आज तक” स्तम्भ के अन्तर्गत उन की प्रसिद्ध कहानी “आग” प्रकाशित कर रहे हैं और ‘रेखाचित्र/संस्मरण’ स्तम्भ के अन्तर्गत डॉ. स्वर्ण चन्दन पर हरजीत अटवाल का मार्मिक संस्मरण। साथ ही, ‘कथा पंजाब’ के इस अंक से हम ‘उपन्यास’ स्तम्भ के तहत बलबीर मोमी के चर्चित उपन्यास ‘पीला गुलाब’ का धारावाहिक रूप में प्रकाशन प्रारंभ कर रहे हैं…
आप के सुझावों, आपकी प्रतिक्रियाओं की हमें प्रतीक्षा रहेगी…
सुभाष नीरव
संपादक - कथा पंजाब
‘कथा पंजाब’ का यह अंक भी विलम्ब से आपके समक्ष आ रहा है। मित्रो, वर्ष 2011 अपनी खूबियों और खामियों के साथ विदा हो गया और नव वर्ष 2012 नई आशाएँ, नई चुनौतियाँ लेकर हमारे समक्ष है। बीते वर्ष जो कमियाँ-खामियाँ रह गईं, जो कार्य अधूरे रह गए, उन्हें इस नये वर्ष में पूरा करने का संकल्प लेना है, नये सृजन की ओर उन्मुख होना है, ऐसा सृजन जो समाज, देश और विश्व में से घृणा, विद्वेष और अन्याय के काले अँधेरों को खत्म करके प्रेम, विश्वास, सौहार्द और नव-निमार्ण का प्रकाश फैलाये।
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बीते वर्ष 2011 पंजाबी के बहुत ही सशक्त चार लेखक - रामसरूप अणखी, जसवंत सिंह विरदी, गुरमेल मडाहड़ और डॉ स्वर्ण चन्दन – हमारे बीच से विदा हो गए। नाटककार गुरशरण भाजी भी हमसे अलविदा ले गए। इन सभी लेखकों के प्रति ‘कथा पंजाब’ अपनी विनम्र श्रद्धांजलि प्रकट करता है।
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पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक बलदेव सिंह को उनके उपन्यास ‘ढाहवां दिल्ली दे किंगरे’ उपन्यास पर भारतीय साहित्य अकादमी, दिल्ली की ओर से वर्ष 2010 के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, यह हम सबके लिए हर्ष और गर्व की बात है। बलदेव सिंह जी का उपन्यास ‘अन्नदाता’ एक ऊँचे स्तर का उपन्यास है। हिन्दी और पंजाबी में इसे लाखों पाठकों ने सराहा है। आशा करता हूँ, ‘ढाहवां दिल्ली दे किंगरे’ का हिन्दी अनुवाद भी हिन्दी के विशाल पाठकों को जल्द उपलब्ध होगा और यह उपन्यास भी उनके ‘अन्नदाता’ उपन्यास की भाँति पाठकों को दिलों में अपनी जगह बनाएगा। ‘कथा पंजाब’ की ओर से बलदेव सिंह जी को बहुत-बहुत बधाई।
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इस अंक में हम विरदी जी को याद करते हुए “पंजाबी कहानी : आज तक” स्तम्भ के अन्तर्गत उन की प्रसिद्ध कहानी “आग” प्रकाशित कर रहे हैं और ‘रेखाचित्र/संस्मरण’ स्तम्भ के अन्तर्गत डॉ. स्वर्ण चन्दन पर हरजीत अटवाल का मार्मिक संस्मरण। साथ ही, ‘कथा पंजाब’ के इस अंक से हम ‘उपन्यास’ स्तम्भ के तहत बलबीर मोमी के चर्चित उपन्यास ‘पीला गुलाब’ का धारावाहिक रूप में प्रकाशन प्रारंभ कर रहे हैं…
आप के सुझावों, आपकी प्रतिक्रियाओं की हमें प्रतीक्षा रहेगी…
सुभाष नीरव
संपादक - कथा पंजाब
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