संपादकीय
>> रविवार, 12 फ़रवरी 2012
पंजाबी कथा साहित्य का एक और मजबूत स्तम्भ नहीं रहा।
पंजाबी कथा साहित्य का एक और मजबूत स्तम्भ नहीं रहा। गत माह 26 जनवरी 2012 को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा था, दिल्ली में शाम को पंजाबी के जाने-माने कथाकार –उपन्यासकार कर्तार सिंह दुग्गल जी का निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। पंजाबी की पहली कथा पीढ़ी के इस कथाकार की कलम को उनकी बढ़ती उम्र भी नहीं रोक पाई थी। दुग्गल जी अन्तिम दिनों तक निरंतर लेखनरत थे। उन्होंने खूब लिखा और जम कर लिखा। जिस बढ़ी उम्र में लोग थककर बैठ जाते हैं, दुग्गल जी बाकायदा नियमित लेखन करते रहे… पंजाबी और हिन्दी दोनों में वह बराबर पढ़े जाने वाले लेखकों में से थे। ऐसे महान साहित्यकार के निधन पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि ! उनकी बहुत ही प्रसिद्ध कहानी ‘चाँदनी रात का दु:खान्त” हम यहाँ पाठकों से साझा कर रहे हैं।
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इस अंक में ‘स्त्री कथा लेखन : चुनिंदा कहानियाँ’ के अन्तर्गत हम पंजाबी की प्रख्यात लेखिका अजीत कौर जी की बहुचर्चित कहानी ‘गुलबानो’ प्रकाशित कर रहे हैं। ‘पंजाबी लघुकथा : आज तक’ के तहत पंजाबी के जाने-माने और सशक्त कथाकार हरभजन सिंह खेमकरनी जी की पाँच चुनिंदा लघुकथाएँ आपके समक्ष रख रहे हैं। इसके साथ ही आप पढ़ेंगे- धारावाहिक रूप से शुरू किए गए बलबीर मोमी के उपन्यास ‘पीला गुलाब’ की अगली किस्त…
आप के सुझावों, आपकी प्रतिक्रियाओं की हमें प्रतीक्षा रहेगी…
सुभाष नीरव
संपादक - कथा पंजाब
पंजाबी कथा साहित्य का एक और मजबूत स्तम्भ नहीं रहा। गत माह 26 जनवरी 2012 को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा था, दिल्ली में शाम को पंजाबी के जाने-माने कथाकार –उपन्यासकार कर्तार सिंह दुग्गल जी का निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। पंजाबी की पहली कथा पीढ़ी के इस कथाकार की कलम को उनकी बढ़ती उम्र भी नहीं रोक पाई थी। दुग्गल जी अन्तिम दिनों तक निरंतर लेखनरत थे। उन्होंने खूब लिखा और जम कर लिखा। जिस बढ़ी उम्र में लोग थककर बैठ जाते हैं, दुग्गल जी बाकायदा नियमित लेखन करते रहे… पंजाबी और हिन्दी दोनों में वह बराबर पढ़े जाने वाले लेखकों में से थे। ऐसे महान साहित्यकार के निधन पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि ! उनकी बहुत ही प्रसिद्ध कहानी ‘चाँदनी रात का दु:खान्त” हम यहाँ पाठकों से साझा कर रहे हैं।
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इस अंक में ‘स्त्री कथा लेखन : चुनिंदा कहानियाँ’ के अन्तर्गत हम पंजाबी की प्रख्यात लेखिका अजीत कौर जी की बहुचर्चित कहानी ‘गुलबानो’ प्रकाशित कर रहे हैं। ‘पंजाबी लघुकथा : आज तक’ के तहत पंजाबी के जाने-माने और सशक्त कथाकार हरभजन सिंह खेमकरनी जी की पाँच चुनिंदा लघुकथाएँ आपके समक्ष रख रहे हैं। इसके साथ ही आप पढ़ेंगे- धारावाहिक रूप से शुरू किए गए बलबीर मोमी के उपन्यास ‘पीला गुलाब’ की अगली किस्त…
आप के सुझावों, आपकी प्रतिक्रियाओं की हमें प्रतीक्षा रहेगी…
सुभाष नीरव
संपादक - कथा पंजाब
2 टिप्पणियाँ:
aadarniya kartar Singh Duggal jee ke nidhan ka smaachar mujhe andar tak kee khamoshi ke samandar men chhodta hua,hilaa gayaa.koee shabd naheen hain mere paas lekin unhen apni vinamr sharaddhanjli deta hoon.
नीरव, इतनी सामग्री तुमने प्रकाशित कर दी कि मैं देखकर दंग हूं. और रचनाएं भी ऎसी कि उन्हें बिना पढ़े कुछ भी लिखना धृष्टता होगी. कुछ समय लूंगा और सभी को पढ़कर अपनी बात कहूंगा. वैसे सभी रचनाएं अपने समय की बहुचर्चित रचनाएं हैं. तुमने अजित कौर के साक्षात्कार की बात की थी. मैंने १९९० में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने के बाद उनका साक्षात्कार किया था. वह अब जल्दी ही तुम्हें भेजूंगा.
चन्देल
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