संपादकीय

>> मंगलवार, 3 अप्रैल 2012





पंजाबी में विश्व की श्रेष्ठ कहानियों को टक्कर देने वाली अनेक कहानियाँ मौजूद हैं…


पंजाबी साहित्य में विश्व की दूसरी भाषाओं की श्रेष्ठ कहानियों को टक्कर देती एक नहीं, अनेक कहानियाँ लिखी गईं। यह क्रम पंजाबी की प्रथम कथा पीढ़ी के लेखकों से लेकर पंजाबी में इस समय सक्रिय चौथी कथा पीढ़ी के लेखकों में बरकरार है। संत सिंह सेखों, सुजान सिंह, दुग्गल, संतोख सिंह धीर, महिन्दर सिंह सरना, कुलवंत सिंह विर्क लेखक पंजाबी कहानी को विश्व स्तर की कहानी तक पहुँचाने में कामयाब रहे। इस परम्परा को आगे की पीढ़ी के कथाकारों ने भी बनाये रखा जैसे नवतेज सिंह, रामसरूप अणखी, प्रेम प्रकाश, अजीत कौर, गुरबचन भुल्लर, मोहन भंडारी, गुरदेव रूपाणा, किरपाल कजाक आदि अनेक नाम हैं।
पंजाबी की अग्रज कथा पीढ़ी में कुलवंत सिंह विर्क का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। उन्होंने पंजाबी कहानी को एक अलग पहचान भी दी। उनकी कई शाहकार और यादगार कहानियाँ हैं जैसे- धरती हेठला बल्द, खब्बल, कष्ट निवारक, छाहवेला, दुध दा छप्पड़, तूड़ी दी पंड, उजाड़ आदि। लेकिन इनमें सबसे अधिक ‘धरती हेठला बल्द’ और ‘खब्बल’ को लेकर जितनी बात की गई, और इनका हिंदी व अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ, उतनी चर्चा उनकी कहानी ‘कष्ट निवारक’ की नहीं हुई। नि:संदेह ‘धरती हेठला बल्द’ और ‘खब्बल’ अविस्मरणीय कहानियाँ है, लेकिन विर्क की कहानी ‘कष्ट निवारक’ भी किसी रूप में कम अविस्मरणीय कहानी नहीं है। यह कहानी अन्य कहानियों की चर्चा के नीचे जैसे दब कर रह गई। कमजोर, गरीब और असहाय व्यक्ति का शोषण ऊपर से नीचे तक हर व्यक्ति के हाथों होता है, इस बात को विर्क ने अपनी इस छोटी-सी कहानी ‘कष्ट निवारक’ में जिस प्रकार व्यक्त किया है, वह प्रशंसनीय है और कलात्मक पक्ष से भी श्रेष्ठ है। अपनी बात को बेहद खूबसूरत ढंग से एक कलात्मक स्पर्श देते हुए कहने का अंदाज कुलवंत सिंह विर्क को बखूबी आता था, इसलिए उनकी कहानियों के पंजाबी में ही नहीं, हिंदी में भी बहुत से प्रशंसक आज भी मौजूद हैं।
इस अंक में ‘पंजाबी कहानी : आज तक’ के अन्तर्गत पंजाबी के इसी प्रख्यात लेखक यानि कुलवंत सिंह विर्क चर्चित कहानी ‘कष्ट निवारक’ का हिंदी अनुवाद हम प्रस्तुत कर रहे हैं। ‘पंजाबी कहानी : नये हस्ताक्षर’ के अन्तर्गत जसवीर राणा की बहु-चर्चित कहानी ‘चूड़े वाली बांह’ प्रकाशित कर रहे हैं। ‘आत्मकथा/स्व-जीवनी’ के अन्तर्गत पंजाबी के वरिष्ठ लेखक प्रेम प्रकाश की आत्मकथा ‘आत्ममाया’ को अगली किस्त के साथ-साथ आप पढ़ेंगे- धारावाहिक रूप से शुरू किए गए बलबीर मोमी के उपन्यास ‘पीला गुलाब’ की अगली किस्त…
आप के सुझावों, आपकी प्रतिक्रियाओं की हमें प्रतीक्षा रहेगी…
सुभाष नीरव
संपादक - कथा पंजाब

2 टिप्पणियाँ:

PRAN SHARMA 7 अप्रैल 2012 को 4:05 pm बजे  

SUBHAH JI , NISSANDEH PANJABI KAA
KATHA SAHITYA SMRIDDH HAI . AAP
US SMRIDDH KATHA SAHITYA KO HINDI
JAGAT MEIN LAANE KAA SRAAHNIY KAAM
KAR RAHE HAIN . AAPNE UCHCH STARIY
SAAMAGREE JUTAAYEE HAI . PADH KAR
TRIPTI HOGEE . AABHAAR .

परमजीत सिहँ बाली 10 अप्रैल 2012 को 1:11 am बजे  

बहुत बढिया प्रस्तुति।आभार।

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