संपादकीय

>> रविवार, 13 दिसंबर 2009



'कथा पंजाब' की संकल्पना को हिंदी और पंजाबी के लेखकों, पाठकों ने ही नहीं, बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं के लेखकों, पाठकों ने भी सराहा है। किसी भाषा के श्रेष्ठ और उत्कृष्ट साहित्य की हिन्दी में अंतर्जाल पर इस प्रकार की प्रस्तुति पहलीबार देखकर बहुत से साहित्य प्रेमी पाठक, लेखक, पत्रकार इस क्षेत्र में अपने ढंग से कार्य करने के लिए प्रेरित हुए हैं। ऐसे ही जब मेरे एक मित्र अनुज ने पंजाबी की सम्पूर्ण प्रकाशित, अप्रकाशित कृतियों को हिन्दी में अनूदित करवा कर अंतर्जाल पर लाने की इच्छा मेरे सम्मुख रखी तो मुझे बहुत अच्छा लगा। अनुज स्वयं लेखक नहीं है पर किसी भी भाषा का अच्छा साहित्य पढ़ने में उनकी गहरी रुचि है। अनुज ने अपने इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए न केवल मुझसे विचार-विमर्श किया बल्कि इसका अधिकांश उत्तरदायित्व भी मुझे ही सौंप दिया। उनकी गहरी रुचि और लगन देखकर मैंने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। परिणामस्वरूप 'अनुवाद घर'(www.anuvadghar.blogspot.com) जैसी साहित्यिक ब्लॉग पत्रिका का ब्लॉग की दुनिया में गत 1 दिसम्बर 2009 को पदार्पण हुआ। इसमें पंजाबी साहित्य की प्रमुख विधाओं यथा- कहानी, उपन्यास, आत्मकथा, संस्मरण/रेखाचित्र आदि की श्रेष्ठ कृतियों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करने की उनकी योजना है। उनकी इस महत्वपूर्ण योजना का नि:संदेह स्वागत किया जाना चाहिए। मेरा तो मानना है कि अन्य भारतीय भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्य के अनुवाद को लेकर भी अंतर्जाल पर ऐसे कार्य किए जाने चाहिएं। कुछ लोग अपने सीमित समय और संसाधनों के चलते इस प्रकार का कार्य कर भी रहे हैं पर उनकी गिनती अभी नगण्य है। डा. दुष्यंत का ब्लॉग 'रेतराग' (www.retrag.blogspot.com) इसी प्रकार का एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसमें राजस्थानी साहित्य और संस्कृति से जुड़ी सामग्री का वह हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करते हैं। भाई दिनेश कुमार माली अपने ब्लॉग -'सरोजिनी साहू की श्रेष्ठ कहानियाँ (www.sarojinisahoostories.blogspot.com) में अंग्रेजी और ओडिया की प्रख्यात लेखिका सरोजिनी साहू की कहानियाँ नियमित रूप से हिन्दी में अनूदित करके प्रस्तुत करते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि जब किसी भाषा का साहित्य दूसरी भाषा में अनुवाद के माध्यम से पहुँचता है तो उसका विस्तार होता है, उसे एक नई धरती और नया आकाश मिलता है। न केवल दो भाषाओं के लेखकों के बीच संवाद की प्रक्रिया प्रारंभ होती है वरन भाषाएँ भी एक-दूजे के बहुत करीब आती हैं। शब्द और संस्कृति का पारस्परिक आदान-प्रदान होता है और वे और अधिक समृद्ध और शक्तिशाली होती चली जाती हैं। अन्य भारतीय भाषाओं की अपेक्षा हिन्दी के पाठक का दायरा बहुत विशाल है। हिन्दी ही एक ऐसी सम्पर्क भाषा है जिसमें किसी भी भाषा का साहित्य अनूदित होकर अन्य भारतीय भाषाओं में सरलता और सहजता से पहुँचने की राह पाता है। जिस प्रकार अनेक विदेशी भाषाओं के साहित्य के लिए हम अंग्रेजी भाषा पर निर्भर हैं और अंग्रेजी के माध्यम से ही अधिकांश पाठक उस भाषा के साहित्य को जान पाते हैं, ठीक इसी प्रकार हिन्दी के माध्यम से भारतीय भाषाओं के पाठक, लेखक अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य तक सुगमता से पहुँच पाते हैं। मेरे द्वारा संपादित व अनूदित पंजाब आतंक पर पंजाबी कहानियों की पुस्तक ''काला दौर'' जब प्रकाशित हुई तो उसकी अनेक कहानियों का कई अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ। तमिल, तेलगू, कन्नड़, बांग्ला, मलयालम, ओडिया भाषा में पंजाबी भाषा को जानने वाला शायद कोई विरला ही मिले, परन्तु हिन्दी का ज्ञान रखने वाले विद्वानों, चिंतकों, लेखकों का अभाव नहीं है। इसी के चलते हिन्दी में प्रकाशित किसी भी भारतीय अथवा विदेशी भाषा के साहित्य का अनुवाद अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर सहजता से उपलब्ध हो जाता है।
अत: यदि हमें अपनी भारतीय भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्य को परस्पर एक दूसरे में रचाना-बसाना है और उसे और अधिक व्यापकता देनी है तो इस प्रकार के कार्य हमें स्वयं ही करने होंगे, बजाय इसके लिए हम अपनी-अपनी भाषाओं की अकादमियों का मुंह जोएं। यहाँ मुझे मज़रूह का यह शे’र याद आ रहा है-
‘मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।’

कारवां तभी बनता है जब कोई एक व्यक्ति पहल करता है। हिन्दी में पहला ब्लॉग न जाने किसने शुरू किया होगा, यह शोध का विषय है, पर जिसने भी शुरूआत की, यह उसी का परिणाम है कि आज अंतर्जाल पर ब्लॉग और वेब साइटों के माध्यम से हिन्दी का परचम लहरा रहा है।
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‘कथा पंजाब’ के ताज़ा अंक में आप “पंजाबी कहानी : आज तक” के अन्तर्गत आप पढ़ेंगे – वरिष्ठ कहानीकार गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी की बहुचर्चित कहानी “भाभी मैना”, “पंजाबी लघुकथा : आज तक” के अन्तर्गत दर्शन मितवा की लघुकथाएं और “नई किताबें” स्तम्भ के तहत हिन्दी के वरिष्ठ कथाकार- उपन्यासकार डॉ रूपसिंह चंदेल द्वारा हरजीत अटवाल के उपन्यास ‘रेत’ के हिन्दी संस्करण की समीक्षा।
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आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी…
सुभाष नीरव
संपादक - कथा पंजाब

4 टिप्पणियाँ:

बेनामी 14 दिसंबर 2009 को 9:26 pm बजे  

Dear subhash neerav, i have read all the stories and reveiw of the novel.very good job. keep it up.
i will call u soon.i am reaching india at the end of this month.
thanks.
Rajinder
rajinderb@hotmail.com

परमजीत सिहँ बाली 15 दिसंबर 2009 को 2:48 pm बजे  

बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं। धन्यवाद।

निर्मला कपिला 15 दिसंबर 2009 को 5:14 pm बजे  

बहुत अच्छा प्रयास है जारी रखिये धन्यवाद्

Murari Ki Kocktail 16 दिसंबर 2009 को 10:41 am बजे  

पुस्तक की अच्छी जाकारी और सचमुच हिंदी ब्लॉग लेखन जिसने भी शुरू किया वो शोध का विषय है !!!

‘अनुवाद घर’ को समकालीन पंजाबी साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों की तलाश

‘अनुवाद घर’ को समकालीन पंजाबी साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों की तलाश है। कथा-कहानी, उपन्यास, आत्मकथा, शब्दचित्र आदि से जुड़ी कृतियों का हिंदी अनुवाद हम ‘अनुवाद घर’ पर धारावाहिक प्रकाशित करना चाहते हैं। इच्छुक लेखक, प्रकाशक ‘टर्म्स एंड कंडीशन्स’ जानने के लिए हमें मेल करें। हमारा मेल आई डी है- anuvadghar@gmail.com

छांग्या-रुक्ख (दलित आत्मकथा)- लेखक : बलबीर माधोपुरी अनुवादक : सुभाष नीरव

छांग्या-रुक्ख (दलित आत्मकथा)- लेखक : बलबीर माधोपुरी अनुवादक : सुभाष नीरव
वाणी प्रकाशन, 21-ए, दरियागंज, नई दिल्ली-110002, मूल्य : 300 रुपये

पंजाबी की चर्चित लघुकथाएं(लघुकथा संग्रह)- संपादन व अनुवाद : सुभाष नीरव

पंजाबी की चर्चित लघुकथाएं(लघुकथा संग्रह)- संपादन व अनुवाद : सुभाष नीरव
शुभम प्रकाशन, एन-10, उलधनपुर, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032, मूल्य : 120 रुपये

रेत (उपन्यास)- हरजीत अटवाल, अनुवादक : सुभाष नीरव

रेत (उपन्यास)- हरजीत अटवाल, अनुवादक : सुभाष नीरव
यूनीस्टार बुक्स प्रायवेट लि0, एस सी ओ, 26-27, सेक्टर 31-ए, चण्डीगढ़-160022, मूल्य : 400 रुपये

पाये से बंधा हुआ काल(कहानी संग्रह)-जतिंदर सिंह हांस, अनुवादक : सुभाष नीरव

पाये से बंधा हुआ काल(कहानी संग्रह)-जतिंदर सिंह हांस, अनुवादक : सुभाष नीरव
नीरज बुक सेंटर, सी-32, आर्या नगर सोसायटी, पटपड़गंज, दिल्ली-110032, मूल्य : 150 रुपये

कथा पंजाब(खंड-2)(कहानी संग्रह) संपादक- हरभजन सिंह, अनुवादक- सुभाष नीरव

कथा पंजाब(खंड-2)(कहानी संग्रह)  संपादक- हरभजन सिंह, अनुवादक- सुभाष नीरव
नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, नेहरू भवन, 5, इंस्टीट्यूशनल एरिया, वसंत कुंज, फेज-2, नई दिल्ली-110070, मूल्य :60 रुपये।

कुलवंत सिंह विर्क की चुनिंदा कहानियाँ(संपादन-जसवंत सिंह विरदी), हिंदी अनुवाद : सुभाष नीरव

कुलवंत सिंह विर्क की चुनिंदा कहानियाँ(संपादन-जसवंत सिंह विरदी), हिंदी अनुवाद : सुभाष नीरव
प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली, वर्ष 1998, 2004, मूल्य :35 रुपये

काला दौर (कहानी संग्रह)- संपादन व अनुवाद : सुभाष नीरव

काला दौर (कहानी संग्रह)- संपादन व अनुवाद : सुभाष नीरव
आत्माराम एंड संस, कश्मीरी गेट, दिल्ली-1100-6, मूल्य : 125 रुपये

ज़ख़्म, दर्द और पाप(पंजाबी कथाकर जिंदर की चुनिंदा कहानियाँ), संपादक व अनुवादक : सुभाष नीरव

ज़ख़्म, दर्द और पाप(पंजाबी कथाकर जिंदर की चुनिंदा कहानियाँ), संपादक व अनुवादक : सुभाष नीरव
प्रकाशन वर्ष : 2011, शिव प्रकाशन, जालंधर(पंजाब)

पंजाबी की साहित्यिक कृतियों के हिन्दी प्रकाशन की पहली ब्लॉग पत्रिका - "अनुवाद घर"

"अनुवाद घर" में माह के प्रथम और द्वितीय सप्ताह में मंगलवार को पढ़ें - डॉ एस तरसेम की पुस्तक "धृतराष्ट्र" (एक नेत्रहीन लेखक की आत्मकथा) का धारावाहिक प्रकाशन…

समकालीन पंजाबी साहित्य की अन्य श्रेष्ठ कृतियों का भी धारावाहिक प्रकाशन शीघ्र ही आरंभ होगा…

"अनुवाद घर" पर जाने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://www.anuvadghar.blogspot.com/

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समीक्षा हेतु किताबें आमंत्रित

'कथा पंजाब’ के स्तम्भ ‘नई किताबें’ के अन्तर्गत पंजाबी की पुस्तकों के केवल हिन्दी संस्करण की ही समीक्षा प्रकाशित की जाएगी। लेखकों से अनुरोध है कि वे अपनी हिन्दी में अनूदित पुस्तकों की ही दो प्रतियाँ (कविता संग्रहों को छोड़कर) निम्न पते पर डाक से भिजवाएँ :
सुभाष नीरव
372, टाइप- 4, लक्ष्मीबाई नगर
नई दिल्ली-110023

‘नई किताबें’ के अन्तर्गत केवल हिन्दी में अनूदित हाल ही में प्रकाशित हुई पुस्तकों पर समीक्षा के लिए विचार किया जाएगा।
संपादक – कथा पंजाब

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