संपादकीय
>> गुरुवार, 12 नवंबर 2009
''कथा पंजाब'' के प्रकाशन पर देश-विदेश के अनेक परिचित, अपरिचित मित्रों ने अपनी न केवल शुभकामनाएं प्रेषित कीं वरन मेरे इस प्रयास को सराहा और उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा भी की। मैं उन सबका हृदय से आभारी हूँ। दरअसल, यह हौसला अफ़जाई नि:संदेह किसी भी व्यक्ति को और बेहतर करने की ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है। यहाँ मैं पुन: दोहरा रहा हूँ कि मुझे कंप्यूटर और अंतर्जाल (नेट) की बहुत अधिक समझ और जानकारी नहीं है, परन्तु जितनी भी है, उसमें मैं अपना श्रेष्ठ और लीक से हटकर काम देने की सदैव कोशिश करता रहा हूँ। कंप्यूटर और नेट की दुनिया बहुत विशाल दुनिया है जिसमें ईमानदारी से अच्छा काम करने वालों की भी गिनती कम नहीं है। वे परस्पर एक दूसरे को सिखाने, इस तकनीक की नई से नई चीज़ें बताने और राह में आने वाली अड़चनों, कठिनाइयों को दूर करने की नि:स्वार्थ कोशिश करते रहते हैं। यहाँ मैं भाई आशीष खंडेलवाल जी जो ''हिन्दी टिप्स ब्लॉग'' (http://tips-hindi.blogspot.com) नामक अपने ब्लॉग के जरिये इस क्षेत्र की नई से नई जानकारियों को बहुत सरल ढंग से कंप्यूटर और नेट प्रेमियों को मुहैया कराते ही रहते हैं, का विशेष उल्लेख करना चाहता हूँ जिन्होंने ''कथा पंजाब'' की पोस्टिंग में आने वाली एक बड़ी तकनीकी त्रुटि को मेरे एक ही अनुरोध पर आगे बढ़कर तुरन्त दूर कर दिया। जैसा कि पिछले यानी कथा पंजाब के प्रथम अंक के संपादकीय में भी मैंने उल्लेख किया था, एक बार फिर भाई सुशील कुमार जी का मैं आभारी हूँ जो ''कथा पंजाब'' को लेकर बहुत उत्साहित रहे हैं और मेरी हर छोटी-बड़ी कठिनाई को अपनी कठिनाई समझ कर पूरी तत्परता से दूर करने में जुट जाते हैं।
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इस बार ''पंजाबी कहानी : आज तक'' के अन्तर्गत पंजाबी की पहली कथा पीढ़ी के प्रख्यात कथाकार (स्व0) गुरमुखसिंह ‘मुसाफिर’ की कहानी ''खसमांखाणे'' जा रही है। ''पंजाबी लघुकथा : आज तक'' के तहत पंजाबी लघुकथा की प्रथम पीढ़ी के बेहद सशक्त और चर्चित लेखक हमदर्दवीर नौशहरवी की पाँच चुनिंदा लघुकथाएँ आपके समक्ष हैं। ''स्त्री कथालेखन : चुनिंदा कहानियाँ'' स्तम्भ के अन्तर्गत पंजाबी की प्रख्यात लेखिका अमृता प्रीतम की एक मशहूर कहानी ''एक ज़ब्तशुदा किताब'' प्रस्तुत है जो नि:संदेह हिन्दी पाठकों के दिलों पर दस्तक देगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
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''कथा पंजाब'' के अन्य स्तम्भों के अन्तर्गत भी समय-समय पर उत्कृष्ठ और श्रेष्ठ सामग्री देने का मैं भरसक प्रयास करता रहूँगा। आशा है, आप अपनी प्रतिक्रिया से मुझे अवगत कराते रहेंगे।
सुभाष नीरव
संपादक : कथा पंजाब
6 टिप्पणियाँ:
भाई,नीरव जी,आप के ब्लाग -कथा पंजाव का स्वागत है.हर भाषा के साथ उसकी सांस्कृतिक पहचान और इस पहचान के साथ धरती की गंध.अपना खास महत्व रखती है.भाषाओँ और संस्कृतियों का मिलन चाहे अनुवाद से हो चाहे व्यापार से हो.संवेदना की विराटता का मार्ग बनाताहै.आप का यह छोटा सा प्रयास एक महत्वपूर्णऔर ऐतिहासिक भूमिका निभाने में सक्षम रहेगा आप को इसके लिए बहुत बहुत बधाई. .09818032913
आपका ये प्रयास सराहणीय है बहुत बहुत शुभकामनायें
YOU ARE DOING A GREAT JOB!I HAVE READ ALL THE STORIES.THANKS FOR SHARING IT WITH ME.
RAJINDER KAUR
rajinderb@hotmail.com
SUBHASH JEE,
AAPKEE LAGAN ,NISHTHA AUR AAPKA PARISHRAM HAI KI AAPKE
DWAARAA INTERNET PAR PUNJABI SAHITYA HINDI MEIN UPLABD HO RAHAA
HAI.AAPKA YAH AETIHAASIK KADAM
SARAAHNIY HEE NAHIN,ANUKARNIY BHEE
HAI.HAR PUNJABI SAHITYAKAAR AUR
HAR HINDI PAATHAK AAPKAA RINEE HAI.PUNJABI SAHITYAKAAR AAPKA
RINEE ISLIYE HAI KYONKI UNKAA
SAHITYA HINDI MEIN ANUWAD HO RAHAA
HAI AUR HINDI PAATHAK AAPKA RINEE
ISLIYE HAI KYONKI USE PUNJABI
SAHITYA HINDI MEIN PADHNE KO MIL
RAHAA HAI.SAARAA SHREY AAPKO JAATAA HAI.IS UTKRISHT KAAM KE LIYE
MEREE HAARDIK BADHAAEE SWEEKAAR
KIJIYE.
aap ek mahati karya kar rahe hai..'aakhar' parivar ki taraf se aapko dhero shubkamanye.. chandrapal,mumbai
bahut bahut shukria.comment se zyada is baat ke liye ki aap panjabi ke itne behatrin rachnakaron se parichay karwa rahe hain, AMRITA ji ki lekhani to hamesha hi dil par dastak deti rahi hai.
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