संपादकीय

>> रविवार, 15 जुलाई 2012


लेखकों में पढ़ने की रुचि का ह्रास
हिन्दी में ही नहीं, मुझे लगता है कि पंजाबी में भी लेखकों में पठन-रूचि का अभाव पिछ्ले डेढ़-दो दशकों से तेज़ी से बढ़ा है। पुराने और स्थापित लेखक नये लेखकों की बात छोड़िये, वे अब अपने समकालीनों की रचनाओं को भी यदा-कदा ही पढ़ते हैं, वह भी तब जब उसे पढ़ने के लिए उनसे विशेष अनुरोध किया जाता है यानी किसी पत्रिका में रिव्यू अथवा किसी गोष्ठी आदि में पर्चा आदि पढ़ने के लिए जब उनपर दबाव बनता है, तब। इस रोग से नये लेखक भी मुक्त हों, ऐसा नहीं है। वे भी पुराने और अपने अग्रज लेखकों की नई आई रचनाओं को पढ़ना और उनपर बात करना पसन्द नहीं करते। यही नहीं, पंजाबी के नये लेखकों में हिन्दी की तरह यह प्रवृति तेज़ी से ज़ोर पकड़ती दीखती है, कि वे यह तो इच्छा रखते हैं कि उनकी हर रचना को नया-पुराना लेखक अवश्य पढ़े, पर वे पुराने लेखकों की बात छोड़ें, अपने समकालीनों की रचना को भी पढ़ना नहीं चाहते। पुराने लेखकों में बहुत कम लेखक हैं जो नये लेखकों को स्वयं आगे बढ़कर पढ़ते हों… उन पर बात करते हों… यही स्थिति नयी पीढ़ी के लेखकों में  भी है… साहित्य के विकास और संवर्द्धन में यह एक खतरनाक प्रवृति है जिसके चलते अच्छे साहित्य के प्रकाश में आने की संभावना क्षीण होती है। एक-दूसरे को पढ़ने से पढ़ने वाला न केवल अपडेटिड होता है, वरन अपनी साहित्यिक विकास यात्रा को भी अद्यतन और पुख्ता करता है। ऐसा नहीं है कि पुराने लेखकों को नये लेखकों की किताबें उपलब्ध नहीं होतीं, अथवा नये लेखकों को अपने पुराने और अग्रज लेखक की नई किताब मुहैया नहीं होती… होती हैं, और खूब होती हैं- चाहे वे भेंट-स्वरूप प्रदान हुई हों, पुस्तकालयों से प्राप्त होती हों अथवा पुस्तक मेलों से… कहने का अर्थ यह है कि अब शनै: शनै: लेखकों के भीतर एक-दूसरे को पढ़ने की रुचि का ह्रास होता जा रहा है जो साहित्य के विकास और संवर्द्धन के लिए स्वास्थवर्धक बात नहीं है, इस प्रवृति पर अंकुश लगना चाहिए…
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इस अंक में आप पढ़ेंगे
-संपादकीय में लेखकों की पढ़ने की रुचि में ह्रास

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सुभाष नीरव
संपादक - कथा पंजाब  

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छांग्या-रुक्ख (दलित आत्मकथा)- लेखक : बलबीर माधोपुरी अनुवादक : सुभाष नीरव

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पाये से बंधा हुआ काल(कहानी संग्रह)-जतिंदर सिंह हांस, अनुवादक : सुभाष नीरव

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कथा पंजाब(खंड-2)(कहानी संग्रह) संपादक- हरभजन सिंह, अनुवादक- सुभाष नीरव

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कुलवंत सिंह विर्क की चुनिंदा कहानियाँ(संपादन-जसवंत सिंह विरदी), हिंदी अनुवाद : सुभाष नीरव

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काला दौर (कहानी संग्रह)- संपादन व अनुवाद : सुभाष नीरव

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ज़ख़्म, दर्द और पाप(पंजाबी कथाकर जिंदर की चुनिंदा कहानियाँ), संपादक व अनुवादक : सुभाष नीरव

ज़ख़्म, दर्द और पाप(पंजाबी कथाकर जिंदर की चुनिंदा कहानियाँ), संपादक व अनुवादक : सुभाष नीरव
प्रकाशन वर्ष : 2011, शिव प्रकाशन, जालंधर(पंजाब)

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"अनुवाद घर" में माह के प्रथम और द्वितीय सप्ताह में मंगलवार को पढ़ें - डॉ एस तरसेम की पुस्तक "धृतराष्ट्र" (एक नेत्रहीन लेखक की आत्मकथा) का धारावाहिक प्रकाशन…

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'कथा पंजाब’ के स्तम्भ ‘नई किताबें’ के अन्तर्गत पंजाबी की पुस्तकों के केवल हिन्दी संस्करण की ही समीक्षा प्रकाशित की जाएगी। लेखकों से अनुरोध है कि वे अपनी हिन्दी में अनूदित पुस्तकों की ही दो प्रतियाँ (कविता संग्रहों को छोड़कर) निम्न पते पर डाक से भिजवाएँ :
सुभाष नीरव
372, टाइप- 4, लक्ष्मीबाई नगर
नई दिल्ली-110023

‘नई किताबें’ के अन्तर्गत केवल हिन्दी में अनूदित हाल ही में प्रकाशित हुई पुस्तकों पर समीक्षा के लिए विचार किया जाएगा।
संपादक – कथा पंजाब

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