संपादकीय
>> रविवार, 20 सितंबर 2009
नेट पर ‘कथा पंजाब’
हिंदी में पंजाबी कथा-साहित्य की प्रस्तुति का एक अकिंचन प्रयास
कम्प्यूटर ने हमारे जीवन को बहुत तेजी से प्रभावित किया है। दो वक्त की रोटी से जूझते निर्धन-गरीब लोगों को अगर छोड़ दें तो आज दुनिया की आबादी के बहुत बड़े हिस्से के लिए कम्प्यूटर एक निहायत ज़रूरी और उपयोगी वस्तु बन चुका है। नेट ने ‘जगत’ और ‘जीवन’ के किसी भी क्षेत्र की किसी भी प्रकार की जानकारी को मात्र एक क्लिक भर की दूरी पर समेट कर उसकी उपलब्धता को बहुत ही सहज और सरल बना दिया है। कम्प्यूटर और नेट पर अंग्रेजी का जो वर्चस्व कुछेक वर्ष पहले तक दीखता था, अब टूट चुका है और देश-विदेश की स्थानीय और प्रान्तीय भाषाओं को भी अब इसने अंगीकार कर लिया है और उन भाषाओं के, कम्प्यूटर और नेट पर अधिकाधिक प्रयोग के साथ-साथ उनके साहित्य के प्रचार-प्रसार में भी बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दे रहा है। आज विश्व की हर भाषा में वेब पत्रिकाएं और ब्लॉग सहजता से देखे जा सकते हैं। भारत में भी हिन्दी और हिन्दीतर भाषाओं (तमिल, मलयालम, कन्नड़, बंगला, मराठी, पंजाबी, उर्दू, उड़िया, असमिया, नेपाली आदि) की वेब पत्रिकाओं और ब्लॉग्स की भरमार देख कर यह बात साफ हो जाती है कि शिक्षित लोगों के बीच कम्प्यूटर और नेट पर अपनी भाषाओं के प्रयोग को लेकर एक अतिरिक्त उमंग, उत्साह और जागरूकता का वातावरण है।
वेब पत्रिकाओं और ब्लॉग्स के आ जाने से प्रिंट मीडिया की पत्र-पत्रिकाओं की अहमियत खत्म नहीं हो जाती है। उनका अपना एक अलग महत्व है, और सुख भी। लेकिन यह भी सच है कि प्रिंट मीडिया की पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन में श्रम और पैसा भी अधिक लगता है, और उनके वितरण की गंभीर समस्या भी होती है। वे अपनी कीमत, लचर और मंहगी डाक व्यवस्था और गांवों, कस्बों, शहरों में पर्याप्त बुक-स्टॉल्स के अभाव के चलते पाठकों को सहज-सुलभ नहीं हो पातीं। भारत में ही नहीं, विदेशों में बैठे पाठकों की बहुत बड़ी संख्या अधिक महंगी और लचर डाक व्यवस्था के कारण प्रिंट मीडिया की पत्रिकाओं को पढ़ने के सुख से वंचित रह जाती है। जबकि वेब पत्रिकाओं के लिए प्रिंट मीडिया की बनस्बित कम लागत और कम श्रम की दरकार होती है और उन्हें वितरण की समस्या से भी नहीं जूझना पड़ता। वे अपने प्रकाशन के समय से ही पूरे विश्व समुदाय से जुड़ जाती हैं।
पंजाबी से हिंदी में अनुवाद कार्य से जुड़े होने के कारण गत कई वर्षों से मैं हिंदी में एक ऐसी पत्रिका निकालना चाह रहा था जो पूरी तरह पंजाबी कथा-साहित्य पर केन्द्रित हो। लेकिन जब-जब मैं इसकी परिकल्पना को अमली जामा पहनाने की कोशिश करता, मुझे निराश होकर बैठ जाना पड़ता। कारण- मेरे पास न तो पूंजी थी, न ही प्रिंट मीडिया का अनुभव। उसमें लगने वाले श्रम, समय और पूंजी की कल्पना मात्र से मेरे हौसले पस्त होते रहे। जब कम्प्यूटर और नेट से मेरा परिचय हुआ, तो एक बार फिर मेरे जेहन में दबी-सोई परिकल्पना सिर उठाने लग पड़ी। लेकिन कम्प्यूटर और नेट के अल्प ज्ञान के कारण मैंने इसे स्थगित रखा और सबसे पहले प्रयोग के तौर पर अनुवाद पर केन्द्रित अपना पहला ब्लॉग ''सेतु साहित्य'' प्रारंभ किया। शुरूआत पंजाबी की उत्कृष्ट रचनाओं के हिंदी अनुवाद से की, बाद में धीरे-धीरे अन्य भाषाओं के अच्छे अनुवाद को भी इसमें शामिल करने लगा। आज इस ब्लॉग के देश-विदेश में अच्छे-खासे पाठक हैं। प्रयोग के रूप में ही ''वाटिका'', ''साहित्य सृजन'', ''गवाक्ष'' और अपनी स्वयं की रचनाओं का ब्लॉग ''सृजन यात्रा'' आरंभ किए। इन पर काम करते हुए मैं एक अनुभव तो अर्जित कर ही रहा था, एक बहुत बड़े पाठक समुदाय से भी जुड़ रहा था जो मेरे लिए अब तक अनजान, अपरिचित था। तभी मुझे लगा कि मैं पंजाबी कथा-साहित्य पर केन्द्रित पत्रिका की अपनी पुरानी परिकल्पना को कम्प्यूटर और नेट पर साकार कर सकता हूँ। लेकिन अब मन फिर दुविधा में था कि 'कथा पंजाब' नाम की अपनी इस पत्रिका को वेब पत्रिका का स्वरूप दूं या फिर ब्लॉग का। घर-परिवार और नौकरी की व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के चलते एक बार फिर समय और धन का संकट मेरे सामने था। ''कथा पंजाब'' नाम से एक वेब पत्रिका का रजिस्ट्रेशन भी मैंने करवाया लेकिन समय और धन के संकट के चलते उसे वास्तविक रूप न दे सका। इधर हिंदी में कुछ ब्लॉग अच्छी पत्रिकाओं के रूप में मेरे सामने थे। उन्हीं से उत्साहित और प्रेरित होकर मैंने अपने सभी ब्लॉगों को मात्र ब्लॉग तक सीमित नहीं रहने दिया, वरन उन्हें भीड़ से हट कर एक ब्लॉग पत्रिका अथवा ई-पत्रिका का स्वरूप भी प्रदान करने की कोशिश की।
''कथा पंजाब'' भी ऐसी ही ब्लॉग अथवा ई पत्रिका है। इसके निर्माण के दौरान मैंने कुछेक उन मित्रों से विचार-विमर्श किया और उनकी मदद ली, जो न केवल साहित्य से लगाव रखते हैं, बल्कि नेट पर उनकी अपनी वेब पत्रिकाएं अथवा ब्लॉग हैं। भाई रामेश्वर काम्बोज हिमांशु (लघुकथा डॉट काम), रवि रतिलामी जी(रचनाकार), कवि मित्र सुशील कुमार(‘सबदलोक' और 'स्मृति दीर्घा') से तकनीकी जानकारियाँ मैं समय-समय पर लेता रहता हूँ। 'कथा पंजाब' के निर्माण में भी इन मित्रों का विशेष योगदान है। भाई सुशील कुमार का तो बेहद आभारी हूँ जिन्होंने 'कथा पंजाब' में सामग्री को वर्गीकृत/विभाजित करने वाले उप-शीर्षकों के निर्माण में अपनी रूचि और तत्परता दिखलाई और आधी आधी रात तक जाग कर उन्हें अमली रूप दिया। अभी इस ई-पत्रिका में और भी बहुत सी संभावनाएं हैं जिसे समय-समय पर मिलने वाले सुझावों को देखते हुए पूरा करने की कोशिश की जाएगी।
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''कथा पंजाब'' में प्रकाशित की जाने वाली सामग्री को ध्यान में रखते हुए इसे विभिन्न उप-शीर्षकों यथा - 'पंजाबी कहानी : आज तक', 'पंजाबी लघुकथा : आज तक', 'स्त्री कथालेखन : चुनी हुई कहानियाँ', 'पंजाबी उपन्यास', 'लेखक से बातचीत', 'आत्मकथा/स्व-जीवनी', 'रेखाचित्र/संस्मरण', 'आलेख' और 'नई किताबें' आदि में बांटा गया है। पहले अंक में 'पंजाबी कहानी : आज तक', 'पंजाबी लघुकथा : आज तक', और 'लेखक से बातचीत' के अन्तर्गत सामग्री दी जा रही है। समय-समय पर अन्य शीर्षकों के अन्तर्गत भी विशेष सामग्री प्रकाशित की जाती रहेगी।
'कथा पंजाब' के इस प्रथम अंक में आप पढेंग़े-
• 'पंजाबी कहानी : आज तक' के अन्तर्गत नानक सिंह की कहानी -'ताश की आदत'
• 'पंजाबी लघुकथा : आज तक' के अन्तर्गत भूपिंदर सिंह की पाँच चुनिंदा लघुकथाएँ
• 'लेखक से बातचीत' के अन्तर्गत पंजाबी के प्रख्यात कथाकार और 'लकीर' के सम्पादक प्रेम प्रकाश से कथाकार जिंदर की बातचीत।
आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं का इन्तज़ार रहेगा।
सुभाष नीरव
संपादक : कथा पंजाब
18 टिप्पणियाँ:
Priya bhai,
'Katha Punjab' jaisi bhavya patrika ke pahale aNk ke prakashan par Badhai. Ank bahut hi sujh-bujh ke sath taiyar kiya hai.
Balram Agarwal
www.jangatha.blogspot.com
http://kathayatra.blogspot.com
Mob:9968094431
अब इस पत्रिका का कमेन्ट-बॉक्स काम कर रहा है। कल टिप्पणी देना चाह रहा था पर कुछ समस्या थी टिप्पणी -पृष्ठ पर। आपकी यह पत्रिका बहुत सुन्दर बन पड़ी है । पत्रिका की थीम भी बहुत खूबसूरत है। पंजाब के कथा-साहित्य पर आपके इस वेब-पत्रिका का अंतर्जाल जगत में स्वागत है।आशा है यह अनुवाद -साहित्य के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचेगा । शुकामनायें और बधाईयाँ।
अब धीरे-धीरे समय निकाल कर मेरे लिये पंजाबी साहित्य का स्तरीय अध्ययन सुलभ हो गया। मैं चाहता था कि इस समृद्ध भाषा-साहित्य का एक हिन्दी-ब्लाग होना चाहिये जो आपने कर दिखाया।पुन: बधाई!
सुभाष जी और सुशील जी को बहुत बहुत बधाई। ये जुगल जोड़ी और भी कीर्तिमान बनाये।
अविनाश वाचस्पति
avinashvachaspati@gmail.com
भाई नीरव जी,
नमस्कार। ‘कथा पंजाब’ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
आपका
श्याम सुन्दर अग्रवाल
sundershyam60@gmail.com
AAPNE EK BADEE KAMEE KO DOOR KIYA
HAI.UMMEED KARTAA HOON KI UCHCH-
STARIY PANJAABEE SAHITYA PADHNE KO
MILEGAA.MEREE BADHAAEEYAN AUR
SHUBH KAMNAYEN.
SUBHASH JEE, KYA HEE ACHCHHA HO
AGAR " KATHA PANJAAB" PAR PANJAB KE
JEEVAN KEE JHANKEE HO.
सुभाष जी,
ब्लाग पत्रिका ''कथा पंजाब '' शुरू करने पर बहुत -बहुत बधाई. सुभाष जी क्या कोई गलती हो गई कि आप ने अपने किसी भी ब्लाग पर ''हिन्दी चेतना'' के बारे में नहीं डाला. न ही मेरे ब्लाग के बारे में.
मैं हिन्दी चेतना और अपने ब्लाग का लिंक भेज रही हूँ.
सादर,
सुधा
http://hindi-chetna.blogspot.com/
http://www.shabdsudha.blogspot.com/
ऐसा कुछ नहीं हैं सुधा जी, 'कथा पंजाब' अभी निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रहा है। बहुत चीजें अभी शेष हैं। समय पर जब कथा पंजाब का टेम्पलेट में आने वाली दिक्कतों का समाधान हो जाएगा और यह अन्तिम रूप ग्रहण करेगा, बहुत कुछ इसमें जुड़ेगा, बहुत कुछ हटेगा। यह मेरा बहुत पुराना सपना था, जैसा कि आपने मेरे संपादकीय में पढ़ा होगा, बस इसे पूरा करने में जुटा हूँ, अकेले अपनी तमाम जिम्मेदारियों और व्यस्तताओं के बीच। रचनाओं पर आप कुछ कहें तो अच्छा लगेगा।
सुभाष जी
बहुत सुन्दर प्रयास एवं आपके हौसले को नमन है मेरा .....
आपकी अन्य पत्रिकाओं में भी पठन सामग्री हमेशा उच्च कोटि की होती है .
इस इ पत्रिका के लिए बहुत बधाई !!
सादर !!
Subhash ji, patrika abhi ek nazar hi dekhi hai lekin bahut hi sunder hai. gunvatta to khair hai hi. iski saphalta ke liye dheron shubh kamanayen.
Purnima Varman
purnima.varman@gmail.com
Priy Subhash,
Katha Punjab ka prakashan Hindi mein Punjabi Sahitya ke liye ek Aitihasik ghatana mani jayegi. Isaka sampadkiya bahut parishram se likha gaya hai. Is web patrika ke prakashan ke liye meri hardik badhai sweekar karo. Mera vishwas hai ki na keval Hindi mein isaka swagat hoga balki Punjab ke un logon dvara bhi ise mahatva pradan kiya jayega jo Hindi se jude hua hain.
Bahut hi shlaghaniy kam. Punah badhai.
Chandel
neerav ji,
i have seen and read your new blog- ‘Katha Punjab’. thanks for sending it. i am surprised that how you can do that much work. i go to your all the sited and like them. well done.
harjeet atwal
harjeetatwal@yahoo.co.uk
बढ़िया अंक निकाला आपने। गम्भीर प्रयास की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए बधाई व शुभकामना।
सुभाष भाई ,
आपने जो काम किया है, उसकी जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है. पञ्जाबी का समृद्ध साहित्य हिंदी में पढ़ने मिलेगा, इससे बढ़ कर आनंद दूसरा नहीं हो सकता.
गिरीश पंकज
संपादक, " सद्भावना दर्पण"
सदस्य, " साहित्य अकादमी", नई दिल्ली.
जी-३१, नया पंचशील नगर,
रायपुर. छत्तीसगढ़. ४९२००१
मोबाइल : ०९४२५२ १२७२०
girishpankaj1@gmail.com
सुभाष नीरव जी !
विगत कई वर्षों से अंतर्जाल पर यायावर की तरह विभिन्न भाषा साहित्य से संबंधित चिठ्ठों के जंगल में भटकता रहता हूं.
पंजाबी कथा साहित्य को समर्पित यह चिठ्ठा मनमोहक है. कलेवर से लेकर प्रस्तुति एवं मिट्टी की महक की प्रतीति .. .
अद्भुत रंग संयोजन आगंतुक को सुकून देने वाला है.
आपका यह प्रयास नि:संदेह अभिनन्दनीय है.
हार्दिक शुभकामनायें.
भाई नीरव जी, कथा पंजाब अदुभुत प्रयास है। इसके लिए जितनी प्रशंसा की जाए कम ही है । आपसे पाठकों की उम्मीदें पूंजीवादियों की तरह बढ़ गई है । बधाई स्वीकारें । कुमार नवीन, पटना
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